Friday, August 14, 2009

अब रिमोट से भी फहरेगा राष्ट्रध्वज

दिल्ली के पास ही ग्रेटर नोएडा से जुडा हुआ एक छोटा सा कस्बा है दनकौर जहां दिल्ली से महज दो घंटे और ग्रेटर नोएडा से जुड़े होने के बावजूद विकास की रोशनी अब तक नहीं पहुंची है। किसी ने ठीक ही कहा है कि अंधेरे की कोख से ही रोशनी का जन्म होता है, ऐसा ही कुछ इस कस्बे दनकौर में हुआ है। यहां के निवासी सगीर खान जायसवाल ने अपने बूते ही नेशनल फ्लैग होस्टिंग रिमोट डिवाइस इजात की है। इस डिवाइस से राष्ट्रध्वज एक रिमोट बटन दबाते ही अपने आप होस्टिंग के लिए ऊपर चला जाता है और इसकी खास बात तो यह है कि होस्टिंग के समय राष्ट्रध्वज पर पुष्पवर्षा भी होती है।

सगीर खान इससे पहले कार फायर कंट्रोल सिस्टम और टॉयलेट गैस एक्जहॉस्टर जैसी खोजें कर चुके हैं। उनकी यह खोजें तब और बड़ी हो जाती हैं जब वह बताते हैं कि वह सिर्फ दसवीं पास हैं और साइकिल, कार, मोटरसाइकिल और कंप्यूटर आदि ठीक करके अपनी आजीविका चलाते हैं। सगीर खान ने 2004 में अपनी पहली खोज टॉयलेट गैस एक्जहॉस्टर के साथ ही अपने नाम के साथ अविष्कारक लगाना शुरू कर दिया था।

सगीर ने अपने इस नेशनल फ्लैग होस्टिंग रिमोट डिवाइस को राज्य के अधिकारियों के अलावा राष्ट्रपति कार्यालय को भी दिखाया है। अधिकारियों से बातचीत करने के बाद पिछले साल अपने इस अविष्कार को लेकर वह ट्रेडफेयर प्रगति मैदान जा पहुंचे और उन्होंने उत्तर प्रदेश पैवेलियन में अपने इस डिवाइस को लगाने की इच्छा जाहिर की। लेकिन यहां पर उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस काम में उन्हें तीन दिन का समय लग गया और इस दौरान उन्होंने दरियागंज थाने में रिपरेट दर्ज कराई और प्रगति मैदान के बाहर गाड़ी में तीन दिन का समय गुजारा।

अपने साथ इस तरह के व्यवहार के बाद उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आप मुख्यमंत्री की इतनी बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगा सकते हैं लेकिन आपके पास राष्ट्रध्वज के लिए जगह नहीं है? इसी से विक्षुब्ध सगीर कहते हैं कि खोज करना जितना कठिन है उससे भी ज्यादा अधिकारियों को इसके प्रदर्शन के लिए मनाना है।


सगीर खान ने अपनी इस खोज के संबंध में दिगपाल सिंह से बातचीत की। बातचीत के कुछ अंश:- 

आपको इस तरह के अविष्कार की प्रेरणा कहां से मिली
बचपन में देखता था कि जब भी कोई राष्ट्रध्वज फहराता था तो ध्वज पर से फूल गिरकर ध्वज फहराने वाले का सम्मान करते थे लेकिन इस पूरी प्रोसेस में ध्वज के सम्मान में ज्यादा कुछ नहीं होता था। बचपन में भी मेरे दिमांग में ये चीज उठती थी लेकिन बड़ों के डर से किसी से नहीं बोल पाता था। तभी मैंने सोचा था कि ध्वज के सम्मान के लिए कुछ काम करुंगा।

राष्ट्रध्वज के साथ काम करते हुए क्या कभी अनदेखा डर भी लगा?
राष्ट्रध्वज के साथ कोई भी काम करते हुए डर तो लगता है लेकिन मुझे यकीन था कि मैं राष्ट्रध्वज के सम्मान के लिए काम कर रहा हूं।

एक मुस्लिम होते हुए यह सारा काम कितना मुश्किल था?
मेरे सामने इस तरह से कोई मुश्किल नहीं आई। यह मेरा देश है और मैं अपने देश के राष्ट्रध्वज के सम्मान के लिए काम कर रहा हूं। 

आपने अपनी इस डिवाइस का पेटेंट भी आपने कराया है?
हां मैंने अपने इस यंत्र का पेटेंट भी कराया है जिससे इसका इस्तेमाल सिर्फ राष्ट्रध्वज के लिए ही किया जा सके। अगर कोई पार्टी इसे अपने झंडे या किसी अन्य चीज पर इस्तेमाल करे तो उस पर पेटेंट एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। पेटेंट का दूसरा फायदा यह भी है कि कोई मेरे इस अविष्कार को चुरा भी नहीं सकता।

आपने इतना सब कुछ किया है जबकि आप सिर्फ 10 वीं पास हैं? इस तरह के अविष्कारों के लिए पढ़ाई कितना महत्व है?
ऐसा तो नहीं है कि पढ़ाई का महत्व नहीं है, पढ़ाई से हमें दूसरों के विचार जानने को मिलते हैं। एक दिन एक कैंटीन पर में चाय पी रहा था तो एक अखबार के टुकड़े में मुझे बिस्कुट दिए गए जिसे मैं ऐसे ही पढ़ने लगा तो उसमें डा़ एपीजे अब्दुल कलाम की एक लाइन पढ़ी जिसमें लिखा था कि ‘‘प्रयोगात्मक तरीके से बनते हैं वैज्ञानिक’’ उस लाइन को मैंने अपनी जिन्दगी में उतार लिया।

सुना है आप पूर्व राष्ट्रपति डा़ एपीजे अब्दुल कलाम को अपना गुरू भी मानते हैं?

जी हां मैंने डॉ कलाम को अपना गुरू माना है। दनकौर गुरू द्रोणाचार्य की भूमि है यहीं पर एकलव्य ने द्रोणाचार्य को संकेत रूप में अपना गुरू मानकर उनसे शिक्षा ली थी। एकलव्य की तरह ही मैं भी अपने गुरू जी डॉ कलाम की तस्वीर को सामने रखकर अपने सभी परीक्षण करता हूं।

डॉ कलाम के लिए आपने अपने घर में एक खास जगह बना रखी है?
जब मैं गुरू जी की तस्वीर लेकर आया तो मुझे अपने घर में उनके जैसे महान के व्यक्ति के लिए कोई जगह नहीं मिली। मेरे घर में भारत का एक नक्शा था लेकिन मैंने उन्हें भारत से भी ज्यादा कद का सम्मान देना चाहा तो एक दिन में दिल्ली से विश्व का नक्शा ले आया और उसके उपर उनकी तस्वीर को लगा दिया।

आईफोन को गूगल के ड्रीम से मिलेगी कड़ी टक्कर

अब असली टक्कर देखने और उससे फायदा लेने में बड़ा मजा आएगा। आईफोन ने बाजार में आते ही चारों तरफ अपने दीवानों को इसके लिए लाइन में खड़े होने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन भारत में आईफोन वो कमाल नहीं कर पाया जो उसने अमेरिकी बाजारों में किया था। इसके अलावा उसकी कई खामियों ने भी लोगों को उससे दूर कर दिया। अब गूगल अपना मोबाइल फोन 'ड्रीम’ के लॉन्च की तैयारी में है। कहीं ऐसा न हो कि गूगल का यह 'ड्रीम’ आईफोन की छुट्टी कर दे। दिगपाल सिंह की रिपोर्ट।

आईफोन को कड़ी टक्कर मिलने वाली है और उसको टक्कर देने के लिए कोई ऐसा-वैसा नाम नहीं गूगल सामने आया है। गूगल जल्द ही अपना मोबाइल फोन 'ड्रीम’ लॉन्च करने वाला है। जो उसके ओपन सोर्स एंड्रॉइड साफ्टेह्लेयर से लैस है और गूगल इसे अमेरिका की ही टी-मोबाइल और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी एचटीसी के साथ मिलकर तैयार कर रहा है। अभी फोन की लॉन्चिंग डेट भी नहीं आई है और अभी से माना जा रहा है कि गूगल का यह 'ड्रीम’ एप्पल के आईफोन को कड़ी चुनौती देगा, हो सकता है कई मामलों में उसकी छुट्टी भी कर दे। ड्रीम बहुत पतला और 3 इंच चौड़ी व 5 इंच लंबी स्क्रीन के साथ आएगा। इसकी स्क्रीन टच सेंसेटिव होने के साथ ही टाइम सेंसेटिव भी है। इसकी स्क्रीन घूमने वाली होगी, जिससे इसके पूरे क्‍वैरटी की-बोर्ड का मजा लिया जा सकता है।

विभिन्न स्रोतों से मिल रही जानकारी के अनुसार गूगल के 'ड्रीम’ में एक बड़ी टच स्क्रीन, म्यूजिक प्लेयर और तीन मेगापिक्सेल का कैमरा होगा। जबकि एप्पल के आईफोन में सिर्फ दो मेगापिक्सल्स कैमरा ही है। साथ ही आईफोन में वीडियो रिकार्डिंग की सुविधा भी नहीं है और माना जा रहा है कि 'ड्रीम’ में यह सुविधा होगी। माना जा रहा है कि इस फोन के आने के बाद मोबाइल पर सर्फिंग आसान हो जाएगी। इस फोन को इस्तेमाल करने वाले गूगल का सर्च इंजन ज्यादा इस्तेमाल करेंगे।

3जी तकनीक से लैस 'ड्रीम’ में नेविगेशन के लिए एक ट्रैकबाल लगाई गई है। इस फोन के सहारे गूगल की विभिन्न सेवाओं जैसे जी मेल, मैप्स और सर्च का फायदा भी उठाया जा सकेगा। विभिन्न स्रोतों से मिल रही जानकारी के अनुसार 'ड्रीम’ की कीमत 149-१८9 डालर के बीच रखी जाएगी।

तकनीक ने लगाए पर, दूसरी भाषा के लेख पढ़ना हुआ आसान

आराम देने के लिए नई तकनीक

गूगल के बारे में तो आप सब जानते ही हैं, नई-नई खोज करने और आपकी सर्च को असाना बनाने में गूगल सबसे आगे रहता है। इस बार गूगल ने ऐसी पेशकश की है जिससे आपकी बहुत सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।

दूसरी भाषा के लेख पढ़ना अब होगा आसान

क्या आपको कोई अंग्रजी लेख बहुत पसंद आया है लेकिन आप उसे अपनी भाषा में पढ़ना और पढ़ाना चाहते हैं? क्या आप आपकी भाषा में लिखे हुए किसी लेख को अंग्रेजी, अरबी, बेल्जियन, डच, रोमन, कोरियन, जापानी, इटैलियन, स्पैनिश, चाइनीज आदि दुनियाभर की भाषाओं में परिवर्तित कर सभी को पढ़ाना चाहते हैं? अगर आपका जवाब हां है तो गूगल ने आपके लिए सच में एक वरदान को जन्म दिया है। गूगल इस बार आपके लिए लेकर आया है गूगल ट्रांसलेटर, जिसमें आप कई भाषाओं में लिखे हुए लेखों को आपकी भाषा में परिवर्तित कर आपके पढ़ने लायक बना सकते हैं। अंग्रजी से हिन्दी में ट्रांसलेशन हो या हिन्दी से अंग्रेजी में, गूगल ट्रांसलेटर ने अब सब कुछ बहुत आसान कर दिया है। आप चाहें तो यह पूरा का पूरा वैब पेज भी आपके लिए ट्रांसलेट कर सकता है। अब जरूरत है वैबपेज का वैबएड्रेस देने की और कुछ ही पलों में यह पूरा वैब पेज आपकी मनचाही भाषा में बदल देगा।

उपयोग करने के लिए जरूरत है

कंप्यूटर के अलावा आपके पास इंटरनेट कनेक्शन की भी जरूरत होगी। क्योंकि यह सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर ही उपलब्ध है इसलिए आप जब भी कुछ ट्रांसलेट करना चाहें तो आपको इंटरनेट पर जाना ही पड़ेगा।

उम्मीद

गूगल ने बीटा वर्जन पेश किया है लेकिन जल्द ही फुल वर्जन भी सामने आऐगा, जो आपकी परेशानियों का पूरा हल निकालने में लगभग कामयाब हो जाएगा।

ट्रांसलेटर की कमियां

हालांकि अभी भी यह अच्छा खासा काम कर रहा है लेकिन कई जगहों पर इसमें अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है। इसलिए गूगल ट्रांसलेटर से ट्रांसलेशन करने के बाद उसे ही पूर्ण न मानें। आपको मूल भाषा के लेख को पढ़कर उसके भाव के अनुरूप अपनी भाषा में ट्रांसलेट हुए लेख में कुछ बदलाव तो करने ही पड़ेंगे। किसी अन्य भाषा से हिन्दी में ट्रांसलेट करके आपके डाक्यूमेंट में लाने पर हो सकता है कि आपको लेख सही से दिखाई ना दे, इसलिए हिन्दी का मंगल फॉन्ट इस्टॉल और एक्टिवेट करा लें।

कुछ भ्रांतियां
कई लोग सोच सकते हैं कि इस सॉफ्टवेयर से ट्रांसलेट करने के बाद लेख पूरी तरह से उनकी भाषा में बदल जाएगा लेकिन यह सच्चाई नहीं है। कुछ कमियां तो उसमें रह ही जाती हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग इसे बकवास समझ सकते हैं लेकिन यह काफी हद तक कामयाब तकनीक है।

गूगल ट्रंसलेटर में कैसे जाएं और असका इस्तेमाल कैसे करें?

गूगल ट्रांसलेटर में जाने के लिए आप इस यूआरएल www. translate.google.com का उपयोग कर सकते हैं और चाहें तो इस ब्लॉग के साइड बार में दिए गए लिंक गूगल ट्रांसलेटर से भी उसकी साइट पर जा सकते हैं। गूगल ट्रांसलेटर लिखकर सर्च भी कर सकते हैं।

अन्य विकल्प क्या हैं
याहू के पास भी ऐसा ही एक ट्रांसलेटर है जिसका यूआरएल www. babelfish.yahoo.com है। लेकिन इस ट्रांसलेटर की परेशानी यह है कि इसमें हिन्दी से किसी अन्य भाषा या किसी अन्य भाषा से हिन्दी में ट्रांसलेशन की सुविधा नहीं है, जबकि इसमें दुनियाभर की कई अन्य भाषाओं को दूसरी भाषाओं में आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है।

एक अदना सा मोबाइल, सौ नेमतें

मोबाइल फोन जो कभी कॉल करने और रिसीव करने मात्रा के लिए होता था, आज हर हाथ में पहुंचने के साथ ही एक नायाब यंत्र बन गया है। यह आपको रेडियो तो सुनाता ही है साथ ही इसमें आप वॉइस रिकार्डिंग कर सकते हैं, बढ़िया से बढ़िया मेगापिक्सल कैमरा से बेहतरीन तस्वीरें उतार सकते हैं, एमपी3, एमपी4 और अच्छी डीवीडी फिल्में स्टोर करने, पीडीए इस्तेमाल के अलावा इसमें टीवी भी देख सकते हैं। इन सबके लिए आपके फोन में जरूरत होती है मेमोरी की। दिगपाल सिंह की रिपोर्ट।

कैमरा फोन या वॉइस रिकॉर्डिग या मोबाइल में गाने स्टोर करने की बात हो और मेमोरी की बात न हो ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि कैमरा फोन से हमारी चाहत ज्यादा से ज्यादा फोटो खींचना और उन्हें स्टोर करना होती है तो वाइस रिकॉर्डिंग एमपी3, एमपी4 और ऐसे ही अन्य जरूरतों के लिए भी मेमोरी की खास जरूरत होती है। आज के दौर में जब भी हम मोबाइल की बात करते हैं तो उसमें जरूरी तौर पर मेगापिक्सल कैमरा, वॉइस रिकॉर्डिंग, एमपी3, एमपी4 आदि तो देखते ही हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो हमारी जरूरत एक चलते-फिरते कंप्यूटर की होती है जो हमारी मोबाइल जरूरतों को पूरा करता हो। आम तौर पर आज के दौर में ज्यादातर मोबाइल हैंडसेटों में 20-50 एमबी इनबिल्ट मेमोरी होती है, जिसमें आप करीब 100 फोटो स्टोर कर सकते हैं। जिसे मेमोरी कार्डों की मदद से बढ़ाया जा सकता है।

फोन की स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के लिए मेमोरी कार्ड की बात की जाए तो आज बाजार में एसडी (सिक्योर डिजिटल मेमोरी) कार्ड और एमएमसी (मल्टी मीडिया कार्ड मेमोरी) आदि मौजूद हैं। जिन्हें असानी से फोन के इनबिल्ट स्लॉट में डाल कर इस्तेमाल किया जा सकता है। बाजार में मिनी (माइक्रो) एसडी कार्ड, आरएस-एमएमसी (रिड्यूस साइज माइक्रो मीडिया कार्ड), डीवी आरएस-एमएमसी (डुअल वॉल्टेज रिड्यूस साइज माइक्रो मीडिया कार्ड मेमोरी) आदि भी हैं जिनकी स्टोरेज क्षमता 32 एमबी से लेकर 64 एमबी, 128 एमबी, 256 एमबी, 512 एमबी, 1 जीबी, 2 जीबी, 4 जीबी, 6 जीबी और अब 8 जीबी तक है। कार्ड रीडर और मोबाइल डाटा केबल की मदद से इन कार्डों में आप एमपी3, एमपी4 व अन्य डाटा स्टोर कर सकते हैं। यही नहीं इनकी मदद से आप अपने मोबाइल से फोटो, रिकॉर्डिंग और फोन बुक आदि कंप्यूटर में डाउनलोड भी कर सकते हैं।

मोबाइल स्टोरेज के क्षेत्र में नयी खोज 8जीबी का माइक्रो एसडी कार्ड है जिसमें 2000 एमपी3 गाने, 4000 डिजिटल फोटो और करीब 5 डिवीडी क्वालिटी फिल्में स्टोर की जा सकती हैं। एक अदने से मोबाइल में इतना सारा डाटा स्टोरेज करने की छूट के साथ आपको सिर्फ अपनी सुनने का मौका मिले तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं।

एक अदना सा मोबाइल, सौ नेमतें

मोबाइल फोन जो कभी कॉल करने और रिसीव करने मात्रा के लिए होता था, आज हर हाथ में पहुंचने के साथ ही एक नायाब यंत्र बन गया है। यह आपको रेडियो तो सुनाता ही है साथ ही इसमें आप वॉइस रिकार्डिंग कर सकते हैं, बढ़िया से बढ़िया मेगापिक्सल कैमरा से बेहतरीन तस्वीरें उतार सकते हैं, एमपी3, एमपी4 और अच्छी डीवीडी फिल्में स्टोर करने, पीडीए इस्तेमाल के अलावा इसमें टीवी भी देख सकते हैं। इन सबके लिए आपके फोन में जरूरत होती है मेमोरी की। दिगपाल सिंह की रिपोर्ट।

कैमरा फोन या वॉइस रिकॉर्डिग या मोबाइल में गाने स्टोर करने की बात हो और मेमोरी की बात न हो ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि कैमरा फोन से हमारी चाहत ज्यादा से ज्यादा फोटो खींचना और उन्हें स्टोर करना होती है तो वाइस रिकॉर्डिंग एमपी3, एमपी4 और ऐसे ही अन्य जरूरतों के लिए भी मेमोरी की खास जरूरत होती है। आज के दौर में जब भी हम मोबाइल की बात करते हैं तो उसमें जरूरी तौर पर मेगापिक्सल कैमरा, वॉइस रिकॉर्डिंग, एमपी3, एमपी4 आदि तो देखते ही हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो हमारी जरूरत एक चलते-फिरते कंप्यूटर की होती है जो हमारी मोबाइल जरूरतों को पूरा करता हो। आम तौर पर आज के दौर में ज्यादातर मोबाइल हैंडसेटों में 20-50 एमबी इनबिल्ट मेमोरी होती है, जिसमें आप करीब 100 फोटो स्टोर कर सकते हैं। जिसे मेमोरी कार्डों की मदद से बढ़ाया जा सकता है।

फोन की स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के लिए मेमोरी कार्ड की बात की जाए तो आज बाजार में एसडी (सिक्योर डिजिटल मेमोरी) कार्ड और एमएमसी (मल्टी मीडिया कार्ड मेमोरी) आदि मौजूद हैं। जिन्हें असानी से फोन के इनबिल्ट स्लॉट में डाल कर इस्तेमाल किया जा सकता है। बाजार में मिनी (माइक्रो) एसडी कार्ड, आरएस-एमएमसी (रिड्यूस साइज माइक्रो मीडिया कार्ड), डीवी आरएस-एमएमसी (डुअल वॉल्टेज रिड्यूस साइज माइक्रो मीडिया कार्ड मेमोरी) आदि भी हैं जिनकी स्टोरेज क्षमता 32 एमबी से लेकर 64 एमबी, 128 एमबी, 256 एमबी, 512 एमबी, 1 जीबी, 2 जीबी, 4 जीबी, 6 जीबी और अब 8 जीबी तक है। कार्ड रीडर और मोबाइल डाटा केबल की मदद से इन कार्डों में आप एमपी3, एमपी4 व अन्य डाटा स्टोर कर सकते हैं। यही नहीं इनकी मदद से आप अपने मोबाइल से फोटो, रिकॉर्डिंग और फोन बुक आदि कंप्यूटर में डाउनलोड भी कर सकते हैं।

मोबाइल स्टोरेज के क्षेत्र में नयी खोज 8जीबी का माइक्रो एसडी कार्ड है जिसमें 2000 एमपी3 गाने, 4000 डिजिटल फोटो और करीब 5 डिवीडी क्वालिटी फिल्में स्टोर की जा सकती हैं। एक अदने से मोबाइल में इतना सारा डाटा स्टोरेज करने की छूट के साथ आपको सिर्फ अपनी सुनने का मौका मिले तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं।

कम्प्यूटर में हैंडराइटिंग

कम्प्यूटर क्रांति का दौर लगातार आगे बढ़ता जा रहा है और आम लोगों के लिए जिन्हें इसकी जानकारी नहीं है या कुछ कम है उनके लिए भी नये नये उपकरण बाजार में आते जा रहे हैं। फिर वह चाहे वॉइस रिकॉगनाइजेशन हो या लेटेस्ट हैंड राइटिंग रिकॉगनाइजेशन डिवाइस। लेकिन इस नई हैंड राइटिंग रिकॉगनाइजेशन डिवाइस ने तो मार्केट में धूम मचाने के लिए ही कदम रखा है।

आप कम्प्यूटर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते, या आपको कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग नहीं आती तो कोई बात नहीं अब आ गई है हैंड राइटिंग रिकॉगनाइजेशन डिवाइस (डिजिटल नोट बुक) जो आपके द्वारा हाथ से किए गए बड़े बड़े कामों को आसानी से आपके कम्प्यूटर के अंदर पहुंचा देगी। इस नोटबुक के आ जाने से डाटा सुरक्षित रखने और टाइपिंग न आने की समस्या का तो लगभग पूरी तरह से समाधन हो गया है। आपको करना सिर्फ यह है कि आप जो भी लिखना या चित्र बनाना चाहते हैं वह इस नोटबुक पर बना लें फिर उसे एक सॉफ्टवेयर (डीजी साफ्टवेयर जो इस नोटबुक के साथ आता है) के माध्यम से कम्प्यूटर में पहुंचा दें।

व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार इस नोटबुक को लेकर लोगों के अन्दर जबरदस्त उत्साह है, इस उत्साह में चार चांद लगाता है इसका अट्रेक्टिव प्राइस जो लगभग 10 रुपये हजार है। इस नोटबुक के साथ आपको मिलता है एक पेन व डीजी सॉफ्टवेयर, इस नोटबुक की एक खासियत यह भी है कि यह सामान्य पेपर व रिफिल के उपयोग से काम करती है। इस नोटबुक की स्टोरेज क्षमता 512 एएमबी की है जिसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता है। इस नोटबुक के लिए फुल्हाल बुकिंग चल रही है लेकिन जल्द ही यह मार्केट में आसानी से उपलब्ध होने लगेगी।

फोटो फ्रेम पर एक के बाद एक आती और संगीत की धुन बजाती यादें

फ्रेम पर एक के बाद एक आती यादें और आपके पसंदीदा गाने से जुड़ी आपकी पसंदीदा यादें। आप कहीं यह तो नहीं सोच रहे कि आज यह क्या हो रहा है? जो यादों की बातें हो रही हैं और वह भी बोलती यादों की। जी हां अब आपके फोटो फ्रेम पर यादें एक के बाद एक आती जाएंगी और साथ में संगीत की धुन भी बजाएंगी।

अब आपके फोटो फ्रेम पर आपके जीवन के वह रोमांचक और यादगार क्षण एक बार फिर जिंदा हो जाएंगे, जब वह इस फोटो फ्रेम पर एक-एक कर चलते हुए, मधुर संगीत से आपको और आपके मेहमानों को मंदमुग्ध करेंगी। छोड़िये अब उस पुराने फोटो फ्रेम को जिसमें आप सालों तक अपनी या किसी चहते की एक ही फोटो देख-देख कर बोर हो गये हैं। अब वक्त आ गया है ऐसे फ्रेम से नाता जोड़ने का जो आपके जीवन के या आपके चहेते की अलग-अलग तस्वीरों को मधुर संगीत से सराबोर कर दे। इस फ्रेम के अंदर लगे स्पीकर से आप एमपी३ म्यूजिक सुन सकते हैं। यह कोई साधरण फोटो फ्रेम नहीं है, इसमें तो वाई-फाई और एडिटिंग जैसे फीचर भी हैं।
 
इस डिजिटल फोटो फ्रेम में आपको कोई फोटो लगाने की जरूरत नहीं है इसे तो आप अपने ही डिजिटल कैमरा से भी जोड़ सकते हैं। इसमें फोटो और विडियो देखने के लिए इसके पीछे बने स्लॉट में एक मेमोरी कार्ड लगाना होता है जिसमें आपकी पसंदीदा फोटो और संगीत सुरक्षित रखा हुआ है। इसे ऑपरेट करना भी बहुत आसान है। इस फ्रेम के साथ एक हैंडी रिमोट कंट्रोल भी आता है। इस फ्रेम में पहले से ही १२८ एमबी इंटरनल मेमोरी होती है जिसमें आप अपने जीवन के सुखद क्षणों को सहेज कर रख सकते हैं।

आप इसी फ्रेम की मदद से बिना कंप्यूटर भी प्रिंटर को सीधे जोड़कर फोटो का प्रिंट ले सकते हैं। यह जेपीइजी और ईएक्सआईएफ फॉर्मेट की इमेजों को सुपोर्ट करता है, इसके अलावा एमओवी, एवीआई, एमपीईजी1 और एमपीईजी4 वीडियो फॉर्मेट को भी यह सुपोर्ट करता है। यह फ्रेम एमपी3 म्यूजिक फाइलों को चला सकता है। इसे 100-120 वी एसी या 12 वी डीसी की पॉवर चाहिए होती है। कम से कम एक साल की वारंटी वाला यह फ्रेम - 20 से ६0 डिग्री सेल्सियस तक में काम करता है।

कोडक इजीशेयर एसवी811 डिजिटल फ्रेम के साथ रिमोट कन्ट्रोल, एसी पावर कॉर्ड, यूएसबी केबल, सॉफट्वेयर सीडी, गेटिंग स्टार्ट गाइड आते हैं। इसे शुरू करने के लिए विन्डोज एक्सपी, इंटरनेट एक्सप्लोरर 6.0 या ज्यादा, 600 मेगाहर्टज से ज्यादा प्रोसेसर, कम से कम 128 एमबी रैम और हार्ड डिस्क में कम से कम 200 एमबी का स्पेस जरूरी है। इसके अलावा एक सीडी रोम होना भी जरूरी है। कंप्यूटर से फोटो आदि डाउनलोड करने के लिए यूएसबी जरूरी है।

इसका डिजिटल फोटो डिस्प्ले 10 इंच तक का होता है। कोडक ने इजीशेयर ईएक्स811 डिजिटल पिक्चर फ्रेम की कीमत भी बड़ी ही आकर्षक रखी है जिसे एक आम शहरी आसानी से खरीद सकता है। इसके 10 इंच के डिजिटल पिक्चर फ्रेम की कीमत सिर्फ 279.95 डॉलर, 9 इंच का 229.95 डॉलर, 8 इंच का 179.95 डॉलर, 7 इंच का 129.95 डॉलर रखी गई हैं। आज कई अन्य कंपनियां भी इसी तरह के डिजिटल फोटो फ्रेम लेकर बाजार में उतर चुकी हैं जरूरत है तो बस यह कि आप अपनी यादों को याद करें और उन्हें सदा अपने आस-पास रखने का मन बना लें।